देश इन दिनों जिस कठिन दौर से गुज़र रहा है उस परिस्थिति में मन के रिसते ज़ख्मों पर मरहम लगाने के लिये इससे बेहतर अन्य कोई गीत और कौन सा हो सकता है ! शायद किसी पल में इस गीत के अनमोल बोल किसीका हृदय परिवर्तित करने में सहायक हो सकें ! गीत है फिल्म 'दो आँखें बारह हाथ' का, स्वर दिया है लता मंगेशकर ने और संगीतकार हैं वसंत देसाई !
साधना वैद
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